BA Semester-5 Paper-2 Fine Arts - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2804
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर

 

अध्याय - 6
पहाड़ी स्कूल : बसोहली, काँगड़ा
(Pahari School: Basohali, Kangra) 

प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. बहसोली शैली के धार्मिक चित्र कैसे थे?
2. बहसोली शैली में प्रकृति चित्रण किस प्रकार का किया गया है।

उत्तर-

बहसोली चित्र शैली

प्राचीन काल में बसोहली की राजधानी बालोर या बल पूर्ति थी । यह वर्तमान बसोहली से 18 किलोमीटर पश्चिम में हैं कृष्णकाल के पश्चात उसके पोत्र भूपत पाल ने आधुनिक बसोहली की स्थापना की तथा मुगल शासक शाहजहाँ के दरबार में उपस्थित हुआ। भूयत पाल के पश्चात बसोहली शासकों में कला के प्रोत्साहन की दृष्टि संग्राम पाल, दीनी पाल तथा अमृत पाल के शासनकाल में विशेष उल्लेखनीय है। इस काल में बसोहली कला का प्रमुख केंद्र बन गया। बसोहली में चित्रण कार्य राजा कल्या पाल के समय में अनवरत चलता रहा।

बसोहली में दीनी पाल ने रंग महल एवं शीश महल का निर्माण करवाया, जिनकी भित्तियों पर नायिका भेद आदि विषयों पर आधारित चित्र बनाए गए। बसोहली चित्र शैली के विकास में कांगड़ा एवं चम्बा शैली का भी योगदान रहा। परन्तु बसोहली चित्र शैली इन शैलियों से भिन्न अपनी पृथक पहचान रखती है। बसोहली चित्र शैली के विकास में कश्मीर तथा स्थानीय शैलियों का भी योगदान रहा है। इस चित्र शैली के प्रमुख चित्र बसोहली में वैष्णव धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा देते थे। अतः कृष्ण के जीवन संबंधी चित्रों की बहुतायात है। भानु दत्त कृत रसमंजरी गीत गोविंद, राग माला, बारहमासा साधु व राष्ट्र नायक-नायिका आदि प्रमुख हैं।

  विशेषताएँ

धार्मिक चित्र

बसोहली में वैष्णव धर्म की अधिक मान्यता थी, जिसके चलते जनमानस की भावना वहां के चित्र में दिखाई पड़ती है। बसोहली चित्र शैली में कृष्ण की जीवन लीला संबंधी चित्रों का अधिक चित्रण हुआ है। इससे साफ-साफ पता चलता है कि बसोहली में वैष्णव धर्म के प्रति गहरी रूचि थी। इस समय मीरा, केशवदास, बिहारी तथा सूरदास के भक्ति पूर्ण साहित्य ने जनमानस में भक्ति भावना को और अधिक फैला दिया। यह भक्ति में वातावरण चित्र में दिखाई देता है। वहां की जनता विष्णु रूपी राम को व कृष्ण को अपना आराध्य मानती थी।

वर्ण योजना

बसोहली चित्र शैली सरल सौम्य तथा भाव पूर्ण है। इसमें चटक व तेज चमकने वाले रंगों का उपयोग किया गया है। कांगड़ा के समान रेखा में कोमलता गठन शीलता नहीं है लेकिन भावपूर्ण कांगड़ा से कही अधिक है। बसोहली चित्रकारों ने व्यक्ति को ध्यान में रखते हुए बाहरी तत्वों पर ध्यान न देकर विषयगत भावना को अधिक महत्ता दी है। यही कारण है कि कांगड़ा से अधिक श्रेष्ठ है।

रूप-निर्माण

बसोहली युक्ति चित्रण में पुरूष और नारी की मुखाकृतियाँ शेष रूप से दिखाई गई है। माथा ढालदार है। चित्रकारों की कला आंखों की बनावट में दिखाई देता है। नेत्र बड़े चित्रित किए गए है। नायक एकांकी भाव-भंगिमाओं व हस्त मुद्राओं का सुंदर चित्रण बसोहली चित्र शैली में नहीं दिखाई देता है। बसोहली में न केवल मुख मुद्रा पर चित्रण हुआ है बल्कि मुद्रा, नाक, कान मुंह ललाट तथा संपूर्ण शरीर का अंकन किया गया है। चित्रों में वस्त्र पारदर्शी बनाए गए है। इनके अंदर से शरीर की कोमलता दिखाई पड़ रही है। बसोहली के चित्रकार ने बड़े ही सौम्य और शृंगारिक स्वरूप का चित्रण किया, जोकि सरलता का भाव लाने में सक्षम है।

प्रकृति व पशु

प्रकृति का सुंदर चित्रण बसोहली चित्र शैली में हुआ है। इस शैली में वृक्षों को पंक्तिनुमा चित्रित किया गया है। इन रक्षण को हल्की रंग योजना द्वारा उभार कर अलंकृत रूप में चित्रित किया गया है वृक्षों में मोरपंखी, अखरोट तथा आम आदि वृक्षों को चित्रों में ऊंचाई तक दर्शाया गया है। बसोहली चित्रों में पशुओं की अपनी विशेषता है। चित्रों में पशुओं को दुबला-पतला तथा कमजोर दर्शाया गया है। पशुओं के पेट चिपके हुए, लंबे कान तथा सींग मुड़े हुए दर्शाया गए हैं। चित्र में बालकृष्ण के साथ बछड़ों को चित्रित किया गया है। रांगमाला में भी नायिका के साथ पशुओं को चित्रित किया गया है।

भवन चित्रण

'बसोहली चित्रों में भवनों का चित्रण सुंदर रूप में हुआ है। मुगल शैली से प्रभावित भवन चित्रों की दीवारों पर सुंदर आलों का चित्रण हुआ है। इन आलों में इत्र दान गुलाब पाश पुष्प पात्र एवं फूलों से भरी हुई टोकरी रखी हुई है। भवन के कपाट सुंदर आलेखनों द्वारा अलंकृत किए गए हैं। खिड़कियां जालीदार तथा स्तंभ नक्काशीदार बनाए गए है। पिंजरे में बंद सारिका व अन्य पक्षियों को भवन चित्रण में अधिक देखा गया है। बसोहली चित्र शैली का संपूर्ण तिब्बत, नेपाल, गढ़वाल तक प्रचार प्रसार रहा है। इससे शैली के लघु चित्रों के साथ-साथ भित्ति चित्र में भारतीय संस्कृति की झलक देखी जा सकती है।

प्रमुख चित्र

साधु व कृष्ण - बसोहली चित्र शैली का यह चित्र सोलवीं शताब्दी के अंत अथवा 17वीं शताब्दी के प्रारंभ का है। इस चित्र में कृष्ण व एक साधु बनाया गया है। श्रीकृष्ण का नीले रंग में बनाया गया है। कृष्ण पीले रंग की धोती पहन रखी है। कंधे पर लंबा गमछा डाल रखा है। द्वार पर कृष्ण के सामने हाथ जोड़ एक साधु खड़ा है। इनकी धोती का रंग कृष्ण से अलग है। इस चित्र में साधु व कृष्ण की पृष्ठभूमि हरी-भरी दिखाई गई है। वृक्षों को हल्की गहरी तथा मोटी रंगत प्रदान की गई है। क्षितिज रेखा आरंभिक से लिखी विशेष पहचान है। बादलों को बहते हुए जल की भांति एक लंबी एक कतार में दर्शाया गया है। शारीरिक गठन मांसल युक्त भारी दर्शाया गया है। आंखे बड़ी, ललाट उभरा हुआ व उठा हुआ है। नाक को एक ही रेखा द्वारा पूर्ण किया गया है। हाशिये मोटे तथा लाल रंग से बने हैं। यह चित्र विक्टोरिया एवं अल्बर्ट म्यूजियम लंदन में सुरक्षित है।

नायक-नायिका

नायक नायिका में मानव आकृति चित्रण विशेष महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मानव आकृतियों में शारीरिक गठन कांगड़ा शैली के समान है। आंखें भी बड़ी-बड़ी चित्रित की गई है । हस्त मुद्राएं, वस्त्रों का शंकुनुमा आकार तथा व्यवस्थित फरहन बसौली शैली की उत्कृष्ट कृति है। 17वी शताब्दी के उत्तराद्ध में रेखा पतली बनने लगी है। उनमें कोमलता तथा लचीलापन दिखाई देने लगा है। नारी चित्रण में नायिका को कंचुकी तथा घेरदार घाघरा पहनाया गया है। यह वस्त्र पारदर्शी बनाए गए हैं। पुरुषों के वस्त्र मुगलिया शैली से प्रभावित दिखाई देते है। पुरुषों को लंबा व घेरदार जामा और पांव में तंग जामा पहने चित्रित किया गया है। आभूषण अत्यंत सूक्ष्म तथा चटक एवं स्वर्ण रंग द्वारा चित्रित किए गए हैं। यह चित्र बसोहली चित्र शैली के उत्कृष्ट चित्रों में से एक माना जाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  2. प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
  3. प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  5. प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
  7. प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
  9. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  11. प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
  12. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
  13. प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
  16. प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
  17. प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
  18. प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
  19. प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
  20. प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
  23. प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
  24. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
  26. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
  27. प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
  29. प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
  30. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
  31. प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
  32. प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
  33. प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
  34. प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
  35. प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
  36. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  37. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
  39. प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
  40. प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
  42. प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
  43. प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
  44. प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
  45. प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
  46. प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  51. प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  52. प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
  53. प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
  54. प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
  55. प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
  56. प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
  57. प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
  58. प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
  59. प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
  61. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
  62. प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
  63. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
  64. प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
  65. प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।

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